छत्तीसगढ के दक्षिण में बसा है बस्तर
आओ चलकर देखें क्या है इसके अंदर
ऊँची-नीची पहाडी और बडी-बडी घाटी
नदियाँ है गहरी ,पावन यहाँ की माटी
काँगेर घाटी में देखो,बनभैंसों की टोली
राज्य पक्षी मैना की आदमी सी बोली
चित्रकोट तीरथगढ सुंदर यहाँ झरना
कोटमसर की गुफा से तुम न डरना
शाल और सागौन वनों से गुजरती
बहती है इंद्रावती खेतों को सींचती
बैलाडिला पहाड पर लोहे की खान
इसी से इतराता है देखो ये जापान
जंगलों में खेलते हैं अधनंगे बच्चे
यहाँ के लोग हैं सीधे और सच्चे
बस्तर में लगतें हैं,हाट और बाजार
अनूठी संस्कृति, तीज और त्यौहार
शल्फी और ताडी बस्तर की ठंडाई
ताड तेंदु छिंद महुआ सुंदर मिठाई
शंखनी-डंकनी का संगम अति पावन
सबकी आस्था माँ दंतेश्वरी मनभावन
आमफल जामफल सीताफल रामफल
इनको खाकर ही बच्चे होते पहलवान
लोहे शिल्प और लकडी पर चित्रकारी
इस पर भी भूखी मरे बुधनी बेचारी
चटनी-बासी तीखुर मडिया यहाँ के पकवान
हमारे लिए तो देवी देवता होते हैं मेहमान
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डॉ. नंदन , बचेली, बस्तर (छ.ग.)
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