मेरी प्यारी बहना
मेरी छोटी प्यारी बहना
जीवन भर खुश रहना
अपनी तोतली बोली में
तुम भैया-भैया ही कहना
तेरी भोली भाली सूरत
लगती ज्यों मंदिर की मूरत
तेरा सोना रूप सलोना
दमका घर आँगन का कोना
तुम जब हँसती बोलती हो
जैसे कलियाँ चटक रही हो जब चलती हो ठुमक-ठुमक कर मानो गुडिया मटक रही हो तेरा रोना और रूठ जाना मुझे नही है भाता तेरी तोतली बोली सुनकर
मुझे मज़ा है आता
मेरी छोटी प्यारी बहना
जीवन भर खुश रहना
अपनी तोतली बोली में
तुम भैया-भैया ही कहना
नंदन:- बचेली, बस्तर (छ.ग.)
मेरे प्यारे भैया
मेरे प्यारे भैया राजा
मुझको नही सताते हैं हाथ पकड स्कूल ले जाते
परियों की कथा सुनाते हैं माँ मारती - पिता डाँटते
भैया तो सहलाते हैं
मैं जब रूठती भैया मरे
मिठाई दे बहलाते हैं
कुछ भी मिलता खाने को
वे पहले मुझे खिलाते हैं पढना- लिखना और गाना भैया मुझे सिखाते हैं
अपने पास बिठाकर मुझको
अच्छे खेल खिलाते हैं
और कभी फुर्सत में हो तो
मुझे कार्टून भी दिखाते हैं दिन भर पढना-लिखना उनका समय नही गँवाते हैं अपनी सायकिल पर बिठा मुझे
शाम की सैर कराते हैं
*****************
नंदन:- बचेली, बस्तर (छ.ग.)
राष्ट्र और राष्ट्रभाषा
किसी भी राष्ट्र के लिए राष्ट्रभाषा का होना अति आवश्यक है। 14सितंबर सन् 1949 को संविधान सभा ने हिन्दी भाषा को भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकृति देकर हिन्दी का सम्मान तो किया परंतु अंग्रेजी के गुलाम हम भारतीयों ने अंग्रेजी को इतना महत्व दिया कि हिन्दी उपेक्षित ही रही। इसका प्रमाण यही है कि अब तक हिन्दी देश की घोषित राष्ट्रभाषा नही बन सकी है। यह अलग बात है कि दबी जुबान सभी हिन्दी को राष्ट्रभाषा मानने लगे हैं। इस ओर सरकारी प्रयास की चर्चा करें तो अब स्थिति अनुकूल लग रही है, फिर भी कुछ लोग विरोध में तरह-तरह की दलीलें दे रहे हैं। जबकि हिन्दी देश के सभी लोगों के लिए अनुकूल भाषा है। आइए हिन्दी भाषा की उन विशेषताओं को जाने जिसके कारण हिन्दी आसानी से संपर्क भाषा के रूप में विकसित हो रही है:-
1.हिन्दी लिखने पढने में सरल है ।
2.हिंदी समझने में सुबोध है।
3.हिन्दी में पर्याप्त वर्णमाला (अक्षर) है।
4.हिंदी का अपना व्यवस्थित व्याकरण है।
5.हिंदी का अपना वृहत शब्द-कोश (शब्द भंडार) है।
6.हिंदी में स्पष्ट विरामादि चिह्नों की व्यवस्था है।
7.नमनीयता हिंदी का एक विशेष गुण है,जिससे वह अन्य भाषाओं के शब्दों को ग्रहण कर अपने को समृद्ध करने में सक्षम है ।
8.शिरोरेखा हिंदी की सुंदरता को बढाने में सहायक होता है।
9.यादृच्छिकता हिंदी का एक विशेष गुण है,जिसके कारण हिंदी को अलग-अलग करके लिखा जा सकता है।
10. हिंदी में वर्णों का आकार एक समान है,और प्रत्येक वर्ण के लिए अलग-अलग लिपि चिह्न निश्चित है।
11.हिंदी में अनुस्वार,अनुनासिक,हलंत, पंचमाक्षर आदि के प्रयोग की स्पष्ट व्यवस्था है।
12.हिंदी में भी अंग्रेजी की तरह ही विज्ञान,तकनीकी,वाणिज्य, प्रशासन एवँ पारिभाषिक शब्दावलियों का अपार भंडार है।
13.संपूर्ण भारतवासियों के लिए अनुकूल भाषा हिंदी ही है क्योकि हिंदी संस्कृत की उत्तराधिकारिणी है और भारत की अधिकाँश भाषा संस्कृत से ही विकसित हुई है ,अत: हिंदी अहिंदी भाषियों के लिए भी अनुकूल और सरल भाषा है।
14.देश के अलग-अलग भाषा-भाषी लोगों ने हिंदी को अपनाकर हिन्दी की सरलता और महत्ता को स्वीकारा है,तभी हिंदी देश की संपर्क-भाषा बन सकी है।हम उनके प्रति कृतज्ञ हैं।
15.आओ, हम गर्व से कहें- हिंदी देश की राष्ट्रभाषा है, इसमें बात करें, काम करें और राष्ट्रध्वज,राष्ट्र-गान की तरह ही हिंदी का सम्मान करें
जय हिंद , जय हिंदी .........................................
डॉ. नंदन:- बचेली, बस्तर (छ.ग.)
Sunday, January 13, 2008
देश को स्वर्ग बनाएँगे
देश को स्वर्ग बनाएँगे ............ नये साल में नई राह पर चलते जाएँगे
नई सोच संकल्प नया ले बढते जाएँगे
हम भारत के बच्चे देश को स्वर्ग बनाएँगे
हम सागर को मथने वाले देवों के संतान है अब अपने कदमों पर हम आकाश झुकाएँगे
हम भारत के बच्चे देश को स्वर्ग बनाएँगे
हम देश पर मिटने वाले वीरों के अभिमान है
अब हम अपने कर्मों से देश का मान बढाएँगे
हम भारत के बच्चे देश को स्वर्ग बनाएँगे
हम नेहरू के प्यारे बच्चे गाँधी के अरमान है
सत्य अहिंसा और शांति का संदेश सुनाएँगे हम भारत के बच्चे देश को स्वर्ग बनाएँगे
हम विपदाओं से लडने वाले देश के किसान है अपने श्रम बल से दुनिया खुशहाल बनाएँगे
हम भारत के बच्चे देश को स्वर्ग बनाएँगे
जीने का अंदाज निराला यह अपनी पहचान है हम मानवता और शांति का गीत दोहराएँगे
नये साल में नई राह पर चलते जाएँगे
नई सोच संकल्प नया ले बढते जाएँगे
हम भारत के बच्चे देश को स्वर्ग बनाएँगे
************************* डॉ. एस.एस.धुर्वे, पी.जी.टी.(हिंदी) के.वि.बचेली
नई सोच संकल्प नया ले बढते जाएँगे
हम भारत के बच्चे देश को स्वर्ग बनाएँगे
हम सागर को मथने वाले देवों के संतान है अब अपने कदमों पर हम आकाश झुकाएँगे
हम भारत के बच्चे देश को स्वर्ग बनाएँगे
हम देश पर मिटने वाले वीरों के अभिमान है
अब हम अपने कर्मों से देश का मान बढाएँगे
हम भारत के बच्चे देश को स्वर्ग बनाएँगे
हम नेहरू के प्यारे बच्चे गाँधी के अरमान है
सत्य अहिंसा और शांति का संदेश सुनाएँगे हम भारत के बच्चे देश को स्वर्ग बनाएँगे
हम विपदाओं से लडने वाले देश के किसान है अपने श्रम बल से दुनिया खुशहाल बनाएँगे
हम भारत के बच्चे देश को स्वर्ग बनाएँगे
जीने का अंदाज निराला यह अपनी पहचान है हम मानवता और शांति का गीत दोहराएँगे
नये साल में नई राह पर चलते जाएँगे
नई सोच संकल्प नया ले बढते जाएँगे
हम भारत के बच्चे देश को स्वर्ग बनाएँगे
************************* डॉ. एस.एस.धुर्वे, पी.जी.टी.(हिंदी) के.वि.बचेली
भारत माँ के बच्चे हैं हम.......... भारत माँ के बच्चे हैं हम हिन्दू न मुसलमान हैं,
सिक्ख इसाई बौद्ध पारसी सबका एक ईमान है ।
भारत माँ के बच्चे हैं हम हिन्दू न मुसलमान हैं,
ऋषि-मुनि सूफी-संतों का हमें मिला वरदान है, सत्य-अहिंसा की राह दिखाते वेद औ कुरान है। भारत माँ के बच्चे हैं हम हिन्दू न मुसलमान हैं,
मानवता है धर्म हमारा प्रेम अपना सहगान है, बढता रहे यह भाईचारा यही एक अरमान है। भारत माँ के बच्चे हैं हम हिन्दू न मुसलमान हैं,
मंदिर मस्जिद सजते सुंदर भजन औ अजान है, इसी देश में रहते जीजस अल्ला औ भगवान है। भारत माँ के बच्चे हैं हम हिन्दू न मुसलमान हैं,
जगमग दीप दिवाली के होली- ईद- रमजान है, ओणम,पोंगल,क्रिसमस,बैशाखी सभी पर्व समान है। भारत माँ के बच्चे हैं हम हिन्दू न मुसलमान हैं,
हम निर्भय,निश्छल हैं हम सहज,सरल बलवान है, भाषा अलग भाव एक है यह अपना अभिमान है। भारत माँ के बच्चे हैं हम हिन्दू न मुसलमान हैं,
यहाँ सभी जन एक समान,कहता यह संविधान है, यह देश हमारा दिल है हम इस पर ही कुर्बान हैं।
भारत माँ के बच्चे हैं हम हिन्दू न मुसलमान हैं,
सिक्ख-इसाई , बौद्ध-पारसी सबका एक ईमान है ।
************************************ डॉ.एस.एस.धुर्वे, पी. जी. टी.(हिंदी) के.वि. बचेली
सिक्ख इसाई बौद्ध पारसी सबका एक ईमान है ।
भारत माँ के बच्चे हैं हम हिन्दू न मुसलमान हैं,
ऋषि-मुनि सूफी-संतों का हमें मिला वरदान है, सत्य-अहिंसा की राह दिखाते वेद औ कुरान है। भारत माँ के बच्चे हैं हम हिन्दू न मुसलमान हैं,
मानवता है धर्म हमारा प्रेम अपना सहगान है, बढता रहे यह भाईचारा यही एक अरमान है। भारत माँ के बच्चे हैं हम हिन्दू न मुसलमान हैं,
मंदिर मस्जिद सजते सुंदर भजन औ अजान है, इसी देश में रहते जीजस अल्ला औ भगवान है। भारत माँ के बच्चे हैं हम हिन्दू न मुसलमान हैं,
जगमग दीप दिवाली के होली- ईद- रमजान है, ओणम,पोंगल,क्रिसमस,बैशाखी सभी पर्व समान है। भारत माँ के बच्चे हैं हम हिन्दू न मुसलमान हैं,
हम निर्भय,निश्छल हैं हम सहज,सरल बलवान है, भाषा अलग भाव एक है यह अपना अभिमान है। भारत माँ के बच्चे हैं हम हिन्दू न मुसलमान हैं,
यहाँ सभी जन एक समान,कहता यह संविधान है, यह देश हमारा दिल है हम इस पर ही कुर्बान हैं।
भारत माँ के बच्चे हैं हम हिन्दू न मुसलमान हैं,
सिक्ख-इसाई , बौद्ध-पारसी सबका एक ईमान है ।
************************************ डॉ.एस.एस.धुर्वे, पी. जी. टी.(हिंदी) के.वि. बचेली
बच्चे
बच्चे अच्छे लगते हैं
मीठी-मीठी बातें करते
हँसते खेलते पढते लिखते
बच्चे अच्छे लगते हैं
सहज सरल घर घर जाते
बैर मिटाते प्रेम बढाते
कुछ भी गाते गुनगुनाते
बच्चे अच्छे लगते हैं
चाँद सूरज पर ललचाते रोते हकलाते बातें बनाते
सजते संवरते और सकुचाते
बच्चे अच्छे लगते हैं
बच्चे अच्छे नही लगते
काम पर जाते बोझ उठाते
पसीना बहाते देश को लजाते
बच्चे अच्छे नही लगते हैं
******************** डॉ.नंदन-बचेली, बस्तर (छ.ग.)
बच्चे अच्छे लगते हैं
मीठी-मीठी बातें करते
हँसते खेलते पढते लिखते
बच्चे अच्छे लगते हैं
सहज सरल घर घर जाते
बैर मिटाते प्रेम बढाते
कुछ भी गाते गुनगुनाते
बच्चे अच्छे लगते हैं
चाँद सूरज पर ललचाते रोते हकलाते बातें बनाते
सजते संवरते और सकुचाते
बच्चे अच्छे लगते हैं
बच्चे अच्छे नही लगते
काम पर जाते बोझ उठाते
पसीना बहाते देश को लजाते
बच्चे अच्छे नही लगते हैं
******************** डॉ.नंदन-बचेली, बस्तर (छ.ग.)
मुखौटे
मुखौटॆ
मुखौटॆ कभी लुभाते थे, हँसाते थे अपनी बनावट और सजधज से
और कभी इशारों ही इशारों में कह देते थे- बड़ी बड़ी बातें
समाज और संस्कृति की झलक
दिखाते थे आदमी को तमीज सिखाते थे आज आदमी पर भारी हैं
तरह-तरह के मुखौटे विरोधी भूमिका निभा रहे हैं बड़ी हुज्जत से इंसानियत को चिढा रहे हैं
आदमी को रोता देख चुपके-चुपके मुखौटे ठहाके लगाते हैं एक अदद जरुरत की तरह
मुखौटे चिपक गए हैं सभ्य होते आदमी के चेहरे पर
छिप गई है असलियत
मुखौटे के पीछे आदमी की पहचान खो गई है और आदमी है कि
बेबस नजर आता है अब आदमी में नही बचा है
इतना भी संवेदन कि
वह कर सके प्रेम या घृणा विरोध या समर्थन
वह बोल सके खुलकर अपनो से या रो ले अकेले में वह नहीं जुटा पा रहा है
इतना भी साहस कि
सड़क पर निकल सके
अपना चेहरा लिए हुए अपने व्यक्तित्व के साथ मुखौटे के बिना।
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मुखौटॆ कभी लुभाते थे, हँसाते थे अपनी बनावट और सजधज से
और कभी इशारों ही इशारों में कह देते थे- बड़ी बड़ी बातें
समाज और संस्कृति की झलक
दिखाते थे आदमी को तमीज सिखाते थे आज आदमी पर भारी हैं
तरह-तरह के मुखौटे विरोधी भूमिका निभा रहे हैं बड़ी हुज्जत से इंसानियत को चिढा रहे हैं
आदमी को रोता देख चुपके-चुपके मुखौटे ठहाके लगाते हैं एक अदद जरुरत की तरह
मुखौटे चिपक गए हैं सभ्य होते आदमी के चेहरे पर
छिप गई है असलियत
मुखौटे के पीछे आदमी की पहचान खो गई है और आदमी है कि
बेबस नजर आता है अब आदमी में नही बचा है
इतना भी संवेदन कि
वह कर सके प्रेम या घृणा विरोध या समर्थन
वह बोल सके खुलकर अपनो से या रो ले अकेले में वह नहीं जुटा पा रहा है
इतना भी साहस कि
सड़क पर निकल सके
अपना चेहरा लिए हुए अपने व्यक्तित्व के साथ मुखौटे के बिना।
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